अनुराग

दीपक- "सुमन जरा देखो हमारे इस बड़े वाले गमले में एक जंगली पौधा निकल आया है"। सुमन बेपरवाही से- "तो उखाड़ फेंको ना,फूलों की शोभा कम हो रही है"।


 दीपक- "ठीक कह रही हो मैं इसकी जड़ को ही साफ कर देता हूं"। वह एक चमचा लेने किचन चला गया।जब आया तो देखा कि एक सफेद कबूतर उसे पौधे से लगा बैठा है ठिठक कर रह गया वह!


 क्या करे अब कबूतर को उड़ा कर पौधे को साफ कर दे,या... "सुमन जरा इधर तो आना",।

"आ रही हूं बाबा टीवी से उठते, झुंझलाते हुए सुमन ने कहा- "चैन से टीवी भी नहीं देखने देते, क्या हो गया"? 


आते ही उसकी नजर सफेद कबूतर पर पड़ी।ओह! कितना सुंदर है यह, दीपक- "हां देखो ना कबूतर की आंखों में पीड़ा साफ झलक रही है"

 सुमन- "हां लगता है कि जैसे अंडे देने वाली है।दीपक -"अब क्या करूं"? "कुछ नहीं", सुमन ने कहा -"चलो भीतर प्रकृति के काम में हस्तक्षेप ना करो"।

दीपाली रश्मि,सोहना गुड़गांव