महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात में मोटे अनाज की खपत ज्यादा, यूपी, बिहार और बाकी राज्यों का क्या हाल?



देश में मोटे अनाज (बाजरे) की खपत में महाराष्ट्र सबसे आगे है। यहां प्रति व्यक्ति खपत 39 किलोग्राम प्रति माह है। इसके बाद राजस्थान में प्रति व्यक्ति 33 किलोग्राम प्रतिमाह, गुजरात में 17 किलोग्राम, कर्नाटक में 13.5 किलोग्राम और तमिलनाडु में 11.4 किलोग्राम प्रति व्यक्ति पर बाजरे की प्रति माह खपत होती है। दूसरी ओर सबसे कम खपत वाले राज्यों में उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्य शामिल हैं। यहां प्रति व्यक्ति पर प्रति माह क्रमशः 4.6 किलोग्राम, 3.8 किलोग्राम, 3.8 किलोग्राम और 3.2 किलोग्राम का खपत होता है। 

 

शहरियों से ज्यादा ग्रामीण खाते हैं मोटे अनाज

भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में एक स्टडी किया। इससे मालूम चलता है कि बाजरे की नियमित खपत कम बनी हुई है। 15 प्रतिशत शहरी और 22 प्रतिशत ग्रामीण उपभोक्ता अपने दैनिक आहार में बाजरा शामिल करते हैं। 10 चुनिंदा राज्यों में किए गए अध्ययन में अनुमान लगाया गया कि औसत प्रति व्यक्ति बाजरे की खपत 13.57 किलोग्राम प्रति माह है। 

 

स्टडी रिपोर्ट से और क्या पता चला? 

बाजरा अनुसंधान संस्थान के अध्ययन से मालूम हुआ कि कुछ राज्यों में मोटे अनाज का उपभोग दर अधिक है, जबकि अन्य औसत से नीचे हैं। मध्य और पश्चिमी राज्यों में सबसे अधिक लोग मोटे अनाज को लेकर जागरूक हैं। लगभग 65-70 प्रतिशत लोगों ने अध्ययन के दौरान बताया कि उन्होंने किसी न किसी समय बाजरा का सेवन किया है। ये ट्रेंड शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में समान है।


IIMR में न्यूट्रीहब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी दयाकर राव बताते हैं, 'बाजरा के बारे में समग्र जागरूकता अधिक है, लगभग 96 प्रतिशत स्कूली छात्रों ने इन अनाजों के बारे में सुना है, लेकिन नियमित खपत कम है। केवल 27.13 प्रतिशत छात्रों ने प्रतिदिन बाजरा खाने की सूचना दी, और 25.76 प्रतिशत ने सप्ताह में 2-3 बार इसका सेवन किया।'

निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत में बाजरा की खपत बढ़ाने की महत्वपूर्ण संभावना है, विशेष रूप से उन राज्यों में जहां वर्तमान में खपत का स्तर कम है। 

बाजरे में रुचि का फिर से उभरना न केवल आहार प्रवृत्ति है, बल्कि यह टिकाऊ कृषि का समर्थन करने और किसानों की आजीविका में सुधार करने का अवसर भी है।