केंद्र सरकार ने उबले, भूरे चावल व धान पर सीमा शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया है। इसके चलते एशियाई बाजार में चावल की कीमतें काफी नीचे गिर गईं हैं।
चावल की वैश्विक कीमतों को लेकर एक रिपोर्ट आई है। इसमें दावा किया गया है कि भारत के एक कदम से पूरी दुनिया में चावल की कीमतों में गिरावट हुई है। खासतौर पर एशियाई बाजार में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि, ये भारत के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के किसानों और चावल व्यापारियों को इसका ज्यादा लाभ होगा।
भारत सरकार ने लिया था ये फैसला
दरअसल, केंद्र सरकार ने उबले, भूरे चावल व धान पर सीमा शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया है। यह एक महीने के भीतर दूसरी कटौती थी। इससे पहले 26 सितंबर को मंत्रालय ने गैर-बासमती उबले चावल, भूरे चावल व धान पर निर्यात शुल्क तत्काल प्रभाव से 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही, अर्ध-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश या ग्लेज़्ड हो या नहीं (उबले चावल और बासमती चावल के अलावा) को शुल्क मुक्त रखा गया।
पिछले साल सरकार ने लगाया था शुल्क
पिछले साल अल नीनो के प्रभाव के कारण प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में बारिश की कमी हो गई थी। धान की कम पैदावार को लेकर चिंतित सरकार ने अगस्त 2023 में इन कृषि उपज पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया था। जुलाई 2023 में, केंद्र ने कम बारिश से चावल के उत्पादन को प्रभावित करने की आशंका के कारण सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पहले सितंबर 2022 में, सरकार ने सफेद चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया था जिसे पहले ही शून्य कर दिया गया है। उसी समय टूटे हुए चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया गया था। पिछले महीने ही सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध हटा लिया था। लेकिन इसने 490 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लागू कर दिया।
सरकार के फैसले का एशियाई बाजार पर कितना असर?
भारत सरकार द्वारा चावल पर लगे निर्यात शुल्क समाप्त करने और बाजार में अधिक आपूर्ति की आशंकाओं को बढ़ाने के बाद इस सप्ताह प्रमुख एशियाई केंद्रों में चावल निर्यात दरों में गिरावट आई। शीर्ष निर्यातक और वियतनाम में दरें एक साल से अधिक समय में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गईं।
वियतनाम खाद्य संघ के अनुसार, वियतनाम के 5% टूटे चावल की कीमत गुरुवार को 532 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी, जो एक सप्ताह पहले 537 डॉलर थी। इस सप्ताह कीमतें जुलाई 2023 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर हैं।
थाईलैंड का 5% टूटा चावल पिछले सप्ताह 525 डॉलर से गिरकर 510 डॉलर प्रति टन हो गया। बैंकॉक स्थित एक व्यापारी ने कहा कि मांग स्थिर रही है और निर्यातक सप्ताह-दर-सप्ताह चीजों को ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपूर्ति पहले ही कट चुकी है। इस बीच, बांग्लादेश ने विनाशकारी बाढ़ के बाद चावल पर आयात शुल्क 37% कम कर दिया, जिसने लगभग 1.1 मिलियन टन फसल नष्ट कर दी 25% से घटाकर 5% कर दिया गया। इसके अतिरिक्त, देश ने चावल के आयात पर मौजूदा 5% अग्रिम कर को भी हटा लिया।
भारत के दो बड़े फायदे
चावल पर लगे निर्यात के बाद से वैश्विक बाजार में भारतीय चावल की जगह पाकिस्तान व अन्य देशों के चावल लेने लगे थे। अब सरकार के इस फैसले से एक बार फिर से भारतीय चावल की वैश्विक डिमांड बढ़ जाएगी।
देश में पहले से ही काफी मात्रा में स्टॉक पड़ा हुआ है। अब ये स्टॉक आसानी से देश में खपत किया जा सकेगा। इसके अलावा निर्यात के माध्यम से किसान अच्छी कमाई भी कर सकेंगे।