बोर्ड एग्ज़ाम बच्चों की ख़ुशियों से महत्वपूर्ण नहीं है

 बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाला है। यही वह वक्त होता है जब बच्चे अपने भविष्य की तरफ कदम बढ़ाते हैं। यहीं से करियर की शुरुआत होती है, लेकिन अक्सर बोर्ड एग्जाम के टाइम बच्चे घबरा जाते हैं। पेरेंट्स उन पर इतना दबाव डालते हैं कि नंबर अच्छे लाओ नहीं तो हमारी नाक काटी जाएगी । माता पिता समाज में अपने इज़्ज़त बनाने की ख़ातिर अपने बच्चों की खुशियां छीन लेते हैं । आख़िर यह कैसे संभव है कि जो एग्ज़ाम आप ढंग से पास नहीं कर पाए वो आपकी औलाद आसानी से पास कर लेगी आख़िर क्यों ? माता पिता अपने बच्चों की जाने अंजाने सब खुशियाँ छीन लेते हैं । आख़िर माता पिता को ऐसा क्यों लगता है कि उनका बच्चा ही सबके बच्चों से ज़्यादा होशियार है । माता पिता चाहते हैं कि वह सभी अपने जानने वालों को गर्व से कह पाए कि उनकी अपनी संतान कितने होशियार है । भले ही चंद अंक पाने की ख़ातिर उनके बच्चे ने अपना मासूम बचपन बर्बाद कर दिया हो । एक बार भी माता पिता को यह नहीं लगता कि उनका बच्चा आख़िर कितना कष्ट सह रहा है ।पढ़ने लिखने के बावजूद स्ट्रेस के कारण नंबर कम आते हैं। बच्चों को स्ट्रेस फ्री रखने के लिए पॉजिटिव माहौल बनाएं। कई बार माता-पिता खुद ही पैनिक हो जाते हैं जिस वजह से बच्चे भी काफी ज्यादा डर जाते हैं। हर वक्त अपने बच्चों पर प्रेशर डालने से बेहतर है कि आप उनसे फ्रेंडली मैनर में बात करें। इससे वह भी रिलैक्स रहेंगे और पढ़ाई पर ज्यादा फोकस कर पाएंगे। आप बच्चों को बताएं कि वह कितने काबिल हैं।

एग्जाम का मतलब यह नहीं होता है कि बच्चा हर वक्त पढ़ता रहे। इस दौरान भी बच्चों से फिजिकल एक्टिविटी करवाएं। माता-पिता को बच्चों के साथ योगा करना चाहिए। इससे नेगेटिव एनर्जी दूर होती है। बॉडी में फ्लैक्सिबिलिटी आती है। माइंड रिलैक्स होता है और पढ़ाई पर ज्यादा फोकस होता है।एग्जाम के दौरान बच्चों के खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखें। उन्हें बीच-बीच में कॉफी, दूध, ग्रीन टी वगैरा देते रहें, जिससे वह रिलैक्स महसूस करेंगे। जरूरत पड़े तो आप उनके साथ बैठें और किसी भी तरह की कंफ्यूजन या डर को खुद ही दूर करें। उनका कॉन्फिडेंस बूस्ट करते रहें।माता-पिता और शिक्षक बच्चों को तनाव से निपटने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी उनके नकारात्मक विचारों को कम करना है। उनके नकारात्मक विचारों को सकारात्मक से बदलकर ऐसी मानसिकता विकसित करें, जो उपलब्धियों और सुधार दोनों को स्वीकार करे।।चिंता छात्रों में अजीब व्यवहार का कारण बन सकती है, जिसे समझ पाना अकसर मुश्किल होता है। ऐसे में एग्जाम रिजल्ट आने से पहले अपने बच्चों से खुलकर और ईमानदार होकर बातचीत करें। उन्हें शांत करते हुए यह समझाएं कि एग्जाम रिजल्ट उनकी योग्यता या भविष्य की सफलता को तय नहीं करते हैं। साथ ही उन्हें सकारात्मक रहने में मदद करें।अकसर रिजल्ट आने पर बच्चे या फिर खुद पेरेंट्स बच्चों की तुलना दूसरों से करने लगते हैं। हालांकि, ऐसा करने से सिर्फ चिंता और आत्म-संदेह को बढ़ावा मिलता है। हर बच्चे की अपनी अलग ताकत और कमजोरियां होती हैं। इसलिए अपने बच्चों की तुलना न करते हुए उनके निरंतर सुधार पर ध्यान दें, और उन्हें पिछली गलतियों से सीखकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।

दैनिक दिनचर्या बनाए रखें और सक्रिय रहें।एग्जाम के दौरान तो भी लगभग हर बच्चा स्ट्रेस और एंग्जायटी का शिकार होता है, लेकिन रिजल्ट को लेकर भी कई बच्चों में मन में डर और स्ट्रेस बना रहता है। अकसर रिजल्ट आने पहले स्टूडेंट्स के मन के कई सवाल आते रहते हैं, जिसकी वजह से वह एंग्जायटी और स्ट्रेस का शिकार हो जाते हैं। अगर आपके आसपास भी कोई बच्चा अपने एग्जाम रिजल्ट को लेकर परेशान हैं, तो आप इन टिप्स के जरिए उनकी मदद कर सकते हैं।सक्रिय रहकर दैनिक दिनचर्या बनाए रखने से तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है। परीक्षा परिणाम की चिंता को मैनेज करने के लिए, बच्चों को संतुलित आहार दें और व्यायाम या कोई ऐसी एक्टविटी करने को कहें, जो उन्हें पसंद हो। इससे एंडोर्फिन रिलीज होगा, जो मूड में सुधार करते हैं।आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अकसर पेरेंट्स के पास ज्यादा समय नहीं होता। ऐसे में अपने बच्चों को एग्जास रिजल्ट की एंग्जायटी से बचाने के लिए आप मदद ले सकते हैं। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर रिजल्ट के प्रभाव से निपटने के लिए एक्सपर्ट की मदद लेना एक महत्वपूर्ण कदम है।पढ़ाई के दौरान अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा महसूस कर रहा है तो उन्हें ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने की सलाह दें। इससे एंजाइटी और डर कम होता है।

बच्चों को लंबे देर तक पढ़ाई करने ना दें। इससे दिमाग और शरीर थक सकता है। पढ़ाई के बीच में उन्हें ब्रेक देते रहें। थोड़ी देर बाहर घूमने की छूट दें, फेवरेट म्यूजिक सुनने दें। इससे मूड फ्रेश चू होता है और स्ट्रेस दूर होता है।कुछ विद्यार्थियों को परीक्षा का डर ज्यादा होता है तो वे पूरे समय पढ़ाई में ही लगे रहते हैं। परीक्षा के दिनों में पढ़ाई को गंभीरता से लेना ठीक है पर परीक्षा तनाव नहीं बनना चाहिए। जो स्टूडेंट्स परीक्षा के दिनों में तरोताजा रहते हैं और अपनी तैयारी पर विश्वास रखते हैं वे अच्छा स्कोर कर जाते हैं। परीक्षा का ज्यादा टेंशन होने पर परीक्षा हॉल में भी चीजों के भूल जाने का डर रहता है। इसलिए ज्यादा अच्छा तो यह है कि परीक्षा को आने दो और अपनी तैयारी पूरी रखो। बच्चों को बहुत ज़्यादा दबाव में नहीं डालना चाहिए। बच्चे पढ़ाई करें अच्छी बात है और आप जो चाहते हैं वहीं करें यह ठीक नहीं है। क्या आपने कभी सोचा है कि आपके बच्चे किस तनाव में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।









लेखिका~ ऊषा शुक्ला

इफ़को आँवला बरेली यूपी