बुरा करने वाले व्यक्ति के साथ आप अच्छा ही करे

जब हमारे साथ कोई बुरा व्यवहार करता है, तो न केवल हमारे मन को चोट पहुंचती है बल्कि हम सामने वाले के गुण और स्वभाव को लेकर कई सवाल खड़े कर देते हैं जबकि जब हम खुद किसी के साथ खराब व्यवहार या दुर्व्यवहार करते हैं, तो खुद को सही मानते हुए हम उसके बारे में एक पल भी नहीं सोचते हैं। असलियत में हमें किसी के साथ भी इतना बुरा नहीं करना चाहिए कि उसकी आत्मा आपको बद्दुआ देने लगे। जो तुम्हारे साथ बुरा करें उसके साथ बुरा नहीं करना चाहिए बल्कि अच्छा और भलाई करना चाहिए। बदला लेने की भावना किसी भी मनुष्य को महान नहीं बनाती। अगर किसी ने आपके साथ विश्वासघात किया है तो उसने बहुत बड़ा पाप किया। और यदि आप भी तो उससे बदला लेते हैं और उसके साथ विश्वासघात करते हैं या उसका बुरा करते हैं तो आप सबसे बड़े पापी कहलाते हैं आपको चाहिए कि ऐसे व्यक्ति को माफ़ कर दिया जाए और उसका जितना हो सके उतना भला किया जाए ।अगर कोई इंसान आपके साथ कुछ भी बुरा कर रहा है। तो हमे बुराई की गंभीरता को देखते हुए ही प्रतिक्रिया करनी चाहिए। अगर बुराई क्षमा योग्य है तो एक या दो बार क्षमा कर देना चाहिए। " क्षमा बड़न को चाहिए छोटन को उत्पात"। लेकिन छोटे इतना भी उत्पात न मचा दें कि हमे घर से सड़क पर लाकर खड़ा कर दें। इस लिए बुराई एक सीमा तक ही बर्दास्त या सहन की जानी चाहिए। उसके आगे कतई नहीं।यदि कोई हमारे साथ बुरा व्यवहार करे तो भी हमारे मन में उसके प्रति करुणा होनी चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि वह यह कर रहा है क्योंकि वह अज्ञानी है अगर वह विकसित मानसिकता का होता उसे सत्य का ज्ञान होता तो ऐसा नहीं करता।अब हमारा व्यवहार उसके प्रति कैसा होना चाहिए यह बहुत सी बातों पर निर्भर करेगा। हमारा पहला लक्ष्य होना चाहिए कि उसे उसकी गलती का एहसास हो जाए और वह सही रास्ते पर आ जाए अतः उसे सुधरने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए। यदि यह संभव न हो और वह अनेक अवसर देने के बाद भी कुटिलता नहीं छोड़ रहा है तब हमारा लक्ष्य उसे और पतित होने से रोकना होना चाहिए इसके लिए हमें कुछ कठोर कदम भी उठाने पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए। यदि इसके बाद भी वह बुरा करना नहीं छोड़ता तब करुणा इसी बात में है कि वह आपका और आपके साथ औरों का अहित न कर सके ।भले ही इसके लिए उसका अंत क्यों न करना पड़े।अगर किसी गलत फहमी मे कोइ आपसे बुरा बर्ताव करता है तो कोशिश किया जा सकता है कि उसका गलत फहमी दुर की जाये । अगर आगे चलके उसके साथ आपको कोइ लेना देना रखने का कोइ खास जरुरत नही होता है तो उससे दुर रहना ही अच्छा है , उसका गलत फहमी वो दुर करे या ना करे उससे कोइ फर्क नही आता है । मेरा साथ एैसा कइ बार हुआ है , हम तो साइड हो जाते है , उसको रहने देते है उसको गलत फहमी के साथ ।अगर कर सको तो सबसे पहले ये जानो के वो बुरा व्यवहार क्यों कर रहा है या हमेशा करता ही क्यों है।जल्दी से फटाफट ये सोचो कहीं उसके इस बर्ताव के जिम्मेदार आप खुद तो नहीं।अगर वजह पता चल जाये तो जरा सोचो,क्या आप अब उसके बुरे व्यवहार से आहत होंगे पहले की तरह।नहीं होंगे या बहुत कम होंगे।या हो सकता है आप मुस्करा भी दें।वजह जान लेने से आपके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव ही आएगा।पर ये भी तभी मुमकिन है अगर आप शांत हैं,सहनशील हैं, हैं और आप में दुसरो की परवाह भी है। सबका भला करें और अपने परिवार का पालन कराया। किसी का बुरा काम किया अपना परिवार था आप कभी अच्छा नहीं कर सकते हैं।बदले की भावना में किसी के साथ बुरा करना आमतौर पर समाज में नकारात्मक परिणामों का कारण बन सकता है। समाज में सभी को एक अच्छा और समर्थनशील वातावरण बनाने की जिम्मेदारी होती है।अगर कोई आपके साथ बुरा करता है, तो सबसे पहले आपको अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए। फिर भी, आपके उत्तरदायित्व में होने के बावजूद, आपको उस व्यक्ति के साथ बुरे संदर्भ में कैसे व्यवहार करना है, यह आपके मूल्यों, संदेशों और अभ्यासों पर निर्भर करता है।कई बार, संवेदनशीलता, समझ, और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान बेहतर हो सकता है निष्पक्ष और संवेदनशील उपाय के माध्यम से। लेकिन यदि स्थिति गंभीर है और आपको स्वतंत्रता की सुरक्षा की आवश्यकता है, तो आपको अपने स्वार्थ को सुरक्षित रखने के लिए अपने आप को बचाने के लिए कुछ कदम उठाने पड़ सकते हैं।







लेखिका-ऊषा शुक्ला

इफ़को आँवला बरेली यूपी