ईश्वर हम सबका है रक्षक,
सर्वे सर्वा वह हमारा संरक्षक।।
हर पल हमारा साथ निभाए,
हम हमेशा उनका आश्रय पाए।।
प्रकृति के तुम हो रखवाले ,
तुम ही सबके पालनहारे।।
तुम्ही जगत के हो आधार,
सबका करते तुम उद्धार।।
सृष्टि है सुंदर तुम्हारी रचना,
तुम हो साथ फिर काहे डरना।।
तुम ही मेरे सांझ सकारे,
तुम बिन हमको कौन उवारे।।
संसार सागर से पार कराते,
मोह माया के छंद छुड़ाते।।
आत्मा में ही है तुम्हारा वास,
सज्जनता आपका प्रिय आवास।।
तुम्हीं ने द्रोपदी को बचाया,
भरी सभा में चीर बढ़ाया।।
भक्त प्रहलाद को तुमने बचाया,
हिरण कश्यप को मार गिराया।।
सृष्टि नियंता कण-कण में समाहित,
अखंड ज्योति करते प्रकाशित।।
सर्वव्यापी तुम्हारी है माया,
कहीं धूप है तो कहीं है छाया।।
रक्षक करो प्रभु सर्वहित तुम कल्याण,
कलयुगीअनाचार का करो काम तमाम।।
भ्रष्टाचार का करो तुम अंत,
सुखी हो जाएं सारा प्रजातंत्र।।
डॉ मीरा कनौजिया
स्वरचित कविता धन्यवाद